हरि गुन गावत नाचूंगी / मीराबाई

हरि गुन गावत नाचूंगी॥ध्रु०॥
आपने मंदिरमों बैठ बैठकर। गीता भागवत बाचूंगी॥१॥
ग्यान ध्यानकी गठरी बांधकर। हरीहर संग मैं लागूंगी॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। सदा प्रेमरस चाखुंगी॥३॥

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *