सिर्फ़ लहरा के रह गया आँचल / अली सरदार जाफ़री

सिर्फ़ लहरा के रह गया आँचल
रंग बन कर बिखर गया कोई

गर्दिश-ए-ख़ूं रगों में तेज़ हुई
दिल को छूकर गुज़र गया कोई

फूल से खिल गये तसव्वुर में
दामन-ए-शौक़ भर गया कोई

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