लिया दिया तुमसे मेरा था, / सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

लिया-दिया तुमसे मेरा था,
दुनिया सपने का डेरा था।

अपने चक्कर से कुल कट गये,
काम की कला से हट हट गये,
छापे से तुम्हीं निपट पट गये,
उलटा जो सीधा ढेरा था।

सही आंख तुम्हीं दिखे पहले,
नहले पर तुम्हीं रहे दहले,
बहते थे जितने थे बहले,
किसी जीभ तुमको टेरा था।

तभी किनारे लगा दिया है,
जहाँ करारा गिरा दिया है,
कैसा तुमने तरा दिया है,
गहरा भवरों का फेरा था।

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