रास्ता / अंजू शर्मा

वह हैरान है,
प्रलोभनों की रंगीन पतंगें
उसके मुंह फेर लेने पर
क्यों बदल जाती हैं
धमकियों और साजिशों के
उकाबों में,
वायदों से सजी
और ऊँचाइयों के ख्वाब दिखाती,
सदैव प्रस्तुत वे सीढियां,
अनदेखा करने पर
क्यों बदल जाती हैं
कीचड भरे, आरोपों से मलीन
गंदे रास्तों में,
एक औरत का स्वयं अपना
रास्ता चुनना
क्या सचमुच इतना दुष्कर है…

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