राणाजी, म्हे तो गोविन्द का गुण गास्यां / मीराबाई

राग पूरिया कल्यान

राणाजी, म्हे तो गोविन्द का गुण गास्यां।
चरणामृत को नेम हमारे, नित उठ दरसण जास्यां॥
हरि मंदर में निरत करास्यां, घूंघरियां धमकास्यां।
राम नाम का झाझ चलास्यां भवसागर तर जास्यां॥
यह संसार बाड़ का कांटा ज्या संगत नहीं जास्यां।
मीरा कहै प्रभु गिरधर नागर निरख परख गुण गास्यां॥

शब्दार्थ :- गास्यां =गाऊंगी। दरसण जास्यां =दर्शन करने जाऊंगी। निरत =नृत्य। झाझ =जहाज। ज्या =जिस।

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