राणाजी, थे क्यांने राखो म्हांसूं बैर / मीराबाई

राग अगना

राणाजी, थे क्यांने राखो म्हांसूं बैर।
थे तो राणाजी म्हांने इसड़ा लागो, ज्यूं बृच्छन में कैर।
महल अटारी हम सब त्याग्या, त्याग्यो थारो बसनो सैर॥
काजल टीकी राणा हम सब त्याग्या, भगती-चादर पैर।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर इमरित कर दियो झैर॥

शब्दार्थ :- क्यां ने = किसलिए। म्हासूं = मुझसे। इसड़ा = ऐसे। कैर =करील। सैर =शहर। पैर = पहनकर। इमरित = अमृत। झैर = जहर।

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