मोहि लागी लगन गुरुचरणन की / मीराबाई

राग धानी
मोहि लागी लगन गुरुचरणन की।
चरण बिना कछुवै नाहिं भावै, जगमाया सब सपननकी॥
भौसागर सब सूख गयो है, फिकर नाहिं मोहि तरननकी।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर आस वही गुरू सरननकी॥

शब्दार्थ :- लगत =प्रीति। कछुवै = कुछ भी। सपनकी =स्वप्नों की, मिथ्या। सूख गयो =समाप्त हो गया।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *