भज मन शंकर भोलानाथ भज मन / मीराबाई

भज मन शंकर भोलानाथ भज मन॥ध्रु०॥
अंग विभूत सबही शोभा। ऊपर फुलनकी बास॥१॥
एकहि लोटाभर जल चावल। चाहत ऊपर बेलकी पात॥२॥
मीरा कहे प्रभू गिरिधर नागर। पूजा करले समजे आपहि आप॥३॥

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *