बड़े घर ताली लागी रे, म्हारां मन री उणारथ भागी रे / मीराबाई

राग पीलू बरवा

बड़े घर ताली लागी रे, म्हारां मन री उणारथ भागी रे॥
छालरिये म्हारो चित नहीं रे, डाबरिये कुण जाव।
गंगा जमना सूं काम नहीं रे, मैंतो जाय मिलूं दरियाव॥
हाल्यां मोल्यांसूं काम नहीं रे, सीख नहीं सिरदार।
कामदारासूं काम नहीं रे, मैं तो जाब करूं दरबार॥
काच कथीरसूं काम नहीं रे, लोहा चढ़े सिर भार।
सोना रूपासूं काम नहीं रे, म्हारे हीरांरो बौपार॥
भाग हमारो जागियो रे, भयो समंद सूं सीर।
अम्रित प्याला छांडिके, कुण पीवे कड़वो नीर॥
पीपाकूं प्रभु परचो दियो रे, दीन्हा खजाना पूर।
मीरा के प्रभु गिरघर नागर, धणी मिल्या छै हजूर॥

शब्दार्थ :- ताली लागी =लगन लग गई। मन री =मन की। उणारथ =कामना। छीलरिये =छिछला गड्ढ़ा। डाबरिये =डबरा, पानी से भरा हुआ गड्ढा। कुण =कौन हाल्यां मोल्यां =नौकर-चाकर। कामदारां =अधिकारी। कथीर =रांगा। सीर =सम्बन्ध। जाब =जवाब, हाजिरी। कड़वो =खारा। रूपा =चांदी। पीपा =पीपा नाम का एक हरि भक्त। परिचौ =परिचय, चमत्कार। खजीन =खजाना। धणी = स्वामी।

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