नील नयन, नील पलक / सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

नील नयन, नील पलक;
नील वदन, नील झलक ।

नील-कमल-अमल-हास
केवल रवि-रजत भास
नील-नील आस-पास
वारिद नव-नील छलक ।

नील-नीर-पान-निरत,
जगती के जन अविरत,
नील नाल से आनत,
तिर्यक-अति-नील अलक ।

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