तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी / मीराबाई

राग दरबारी-ताल तिताला

तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी॥
भवसागर में बही जात हौं, काढ़ो तो थारी मरजी।
इण संसार सगो नहिं कोई, सांचा सगा रघुबरजी॥
मात पिता औ कुटुम कबीलो सब मतलब के गरजी।
मीरा की प्रभु अरजी सुण लो चरण लगाओ थारी मरजी॥

शब्दार्थ :-म्हारी =मेरी। काढ़ो =निकाढ़ लो, निकाल ले। इण =यह। गरजी =स्वार्थी थारी =तुम्हारी।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *