मिसाल इसकी कहाँ है

[ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”उधाहरण”]मिसाल[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] इसकी कहाँ है ज़माने में कि सारे खोने के ग़म पाये हमने पाने में वो शक्ल पिघली तो हर शै में ढल गई जैसे अजीब बात हुई है उसे भुलाने में जो [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”इंतज़ार में”]मुंतज़िर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  न मिला वो तो हम हैं शर्मिंदा कि हमने देर लगा दी पलट के आने में [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”मज़ेदार”]लतीफ़[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]… Continue reading मिसाल इसकी कहाँ है

मैनें दिल से कहा

मैनें दिल से कहा ऐ दीवाने बता जब से कोई मिला तू है खोया हुआ ये कहानी है क्या है ये क्या सिलसिला ऐ दीवाने बता मैनें दिल से कहा ऐ दीवाने बता धड़कनों में छुपी कैसी आवाज़ है कैसा ये गीत है कैसा ये साज़ है कैसी ये बात है कैसा ये राज़ है… Continue reading मैनें दिल से कहा

कभी यूँ भी तो हो

कभी यूँ भी तो हो दरिया का साहिल हो पूरे चाँद की रात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो परियों की महफ़िल हो कोई तुम्हारी बात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो ये नर्म मुलायम ठंडी हवायें जब घर से तुम्हारे गुज़रें तुम्हारी ख़ुश्बू चुरायें मेरे घर ले आयें… Continue reading कभी यूँ भी तो हो

जाते जाते वो मुझे

जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी ग़म भी वो शायद बरा-ए-मेहरबानी दे गया सब हवायें ले गया मेरे समंदर की कोई और मुझ को एक कश्ती [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”पाल से जुड़ा / related to sail”]बादबानी[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] दे गया ख़ैर… Continue reading जाते जाते वो मुझे

हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है

हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है हँसती आँखों में भी नमी-सी है दिन भी चुप चाप सर झुकाये था रात की [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”रक्त संचार”]नब्ज़[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] भी थमी-सी है किसको समझायें किसकी बात नहीं [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”ध्यान”]ज़हन[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] और दिल में फिर ठनी-सी है ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई गर्द इन पलकों पे जमी-सी है कह गए हम… Continue reading हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है

दर्द अपनाता है पराए कौन

दर्द अपनाता है पराए कौन कौन सुनता है और सुनाए कौन कौन दोहराए वो पुरानी बात ग़म अभी सोया है जगाए कौन वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं कौन दुख झेले आज़माए कौन अब सुकूँ है तो भूलने में है लेकिन उस [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”इंसान”]शख़्स[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  को भुलाए कौन आज फिर दिल है कुछ उदास… Continue reading दर्द अपनाता है पराए कौन

कभी जमूद कभी सिर्फ़ इंतिशार सा है / कैफ़ी आज़मी

कभी जमूद कभी सिर्फ़ इंतिशार सा है जहाँ को अपनी तबाही का इंतिज़ार सा है मनु की मछली, न कश्ती-ए-नूह और ये फ़ज़ा कि क़तरे-क़तरे में तूफ़ान बेक़रार सा है मैं किसको अपने गरेबाँ का चाक दिखलाऊँ कि आज दामन-ए-यज़दाँ भी तार-तार-सा है सजा-सँवार के जिसको हज़ार नाज़ किए उसी पे ख़ालिक़-ए-कोनैन शर्मसार सा है… Continue reading कभी जमूद कभी सिर्फ़ इंतिशार सा है / कैफ़ी आज़मी

ऐ सबा! लौट के किस शहर से तू आती है? / कैफ़ी आज़मी

ऐ सबा! लौट के किस शहर से तू आती है? तेरी हर लहर से बारूद की बू आती है! खून कहाँ बहता है इन्सान का पानी की तरह जिस से तू रोज़ यहाँ करके वजू आती है? धाज्जियाँ तूने नकाबों की गिनी तो होंगी यूँ ही लौट आती है या कर के रफ़ू आती है?… Continue reading ऐ सबा! लौट के किस शहर से तू आती है? / कैफ़ी आज़मी

इतना तो ज़िन्दगी में किसी की ख़लल पड़े / कैफ़ी आज़मी

इतना तो ज़िन्दगी में किसी की ख़लल पड़े हँसने से हो सुकून ना रोने से कल पड़े जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी-पी के अश्क-ए-ग़म यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े एक तुम के तुम को फ़िक्र-ए-नशेब-ओ-फ़राज़ है एक हम के चल पड़े तो बहरहाल चल पड़े मुद्दत के बाद उस ने जो… Continue reading इतना तो ज़िन्दगी में किसी की ख़लल पड़े / कैफ़ी आज़मी

आवारा सजदे / कैफ़ी आज़मी

इक यही सोज़-ए-निहाँ कुल मेरा सरमाया है दोस्तो मैं किसे ये सोज़-ए-निहाँ नज़र करूँ कोई क़ातिल सर-ए-मक़्तल नज़र आता ही नहीं किस को दिल नज़र करूँ और किसे जाँ नज़र करूँ? तुम भी महबूब मेरे तुम भी हो दिलदार मेरे आशना मुझ से मगर तुम भी नहीं तुम भी नहीं ख़त्म है तुम पे मसीहानफ़सी… Continue reading आवारा सजदे / कैफ़ी आज़मी