मेरी वादी में वो इक दिन यूँ ही आ निकली थी / अली सरदार जाफ़री

मेरी वादी में वो इक दिन यूँ ही आ निकली थी रंग और नूर का बहता हुआ धारा बन कर महफ़िल-ए-शौक़ में इक धूम मचा दी उस ने ख़ल्वत-ए-दिल में रही अन्जुमन-आरा बन कर शोला-ए-इश्क़ सर-ए-अर्श को जब छूने लगा उड़ गई वो मेरे सीने से शरारा बन कर और अब मेरे तसव्वुर का उफ़क़… Continue reading मेरी वादी में वो इक दिन यूँ ही आ निकली थी / अली सरदार जाफ़री

मैं और मेरी तन्हाई / अली सरदार जाफ़री

आवारा हैं गलियों में मैं और मेरी तनहाई जाएँ तो कहाँ जाएँ हर मोड़ पे रुसवाई ये फूल से चहरे हैं हँसते हुए गुलदस्ते कोई भी नहीं अपना बेगाने हैं सब रस्ते राहें हैं तमाशाई रही भी तमाशाई मैं और मेरी तन्हाई अरमान सुलगते हैं सीने में चिता जैसे कातिल नज़र आती है दुनिया की… Continue reading मैं और मेरी तन्हाई / अली सरदार जाफ़री

आगे बढ़ेंगे / अली सरदार जाफ़री

वो बिजली-सी चमकी, वो टूटा सितारा, वो शोला-सा लपका, वो तड़पा शरारा, जुनूने-बग़ावत ने दिल को उभारा, बढ़ेंगे, अभी और आगे बढ़ेंगे! गरजती हैं तोपें, गरजने दो इनको दुहुल बज रहे हैं, तो बजने दो इनको, जो हथियार सजते हैं, सजने दो इनको बढ़ेंगे, अभी और आगे बढ़ेंगे! कुदालों के फल, दोस्तों, तेज़ कर लो,… Continue reading आगे बढ़ेंगे / अली सरदार जाफ़री

बेत‍आल्लुक़ी / अख़्तर-उल-ईमान

शाम होती है सहर होती है ये [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”गुज़रता हुआ समय”]वक़्त-ए-रवाँ[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] जो कभी मेरे सर पे [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”भारी पत्थर”]संग-गराँ[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  बन के गिरा राह में आया कभी मेरी [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”हिमालय”]हिमाला[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  बन कर जो कभी [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”समस्या, दिक़्कत”]उक्दा[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  बना ऐसा कि हल ही न हुआ अश्क बन कर मेरी आँखों से कभी टपका है जो कभी ख़ून-ए-जिगर… Continue reading बेत‍आल्लुक़ी / अख़्तर-उल-ईमान

आख़िरी मुलाक़ात / अख़्तर-उल-ईमान

आओ कि [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”प्रेम की मृत्यु का महोत्सव”]जश्न-ए-मर्ग-ए-मुहब्बत[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] मनाएँ हम आती नहीं कहीं से दिल-ए-ज़िन्दा की सदा सूने पड़े हैं कूचा-ओ-बाज़ार इश्क़ के है शम-ए-अंजुमन का नया हुस्न-ए-जाँ [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”पिघलता हुआ”]गुदाज़[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] शायद नहीं रहे वो पतंगों के [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”उत्साह, उमंग”]वलवले[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] ताज़ा न रख सकेगी रिवायात-ए-दश्त-ओ-दर वो [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”पाग़ल”]फ़ित्नासर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  गए जिन्हें काँटें अज़ीज़ थे अब कुछ… Continue reading आख़िरी मुलाक़ात / अख़्तर-उल-ईमान

तहलील / अख़्तर-उल-ईमान

मेरी माँ अब मिट्टी के ढेर के नीचे सोती है उसके जुमले, उसकी बातों, जब वह ज़िंदा थी, कितना बरहम (ग़ुस्सा) करती थी मेरी रोशन तबई (उदारता), उसकी जहालत हम दोनों के बीच एक दीवार थी जैसे ‘रात को ख़ुशबू का झोंका आए, जि़क्र न करना पीरों की सवारी जाती है’ ‘दिन में बगूलों की… Continue reading तहलील / अख़्तर-उल-ईमान

मैं पयम्बर नहीं / अख़्तर-उल-ईमान

मैं पयंबर नहीं देवता भी नहीं दूसरों के लिए जान देते हैं वो सूली पाते हैं वो नामुरादी की राहों से जाते हैं वो मैं तो परवर्दा हूँ ऐसी तहज़ीब का जिसमें कहते हैं कुछ और करते हैं कुछ शर-पसंदों की आमाजगह अम्न की क़ुमरियाँ जिसमें करतब दिखाने में मसरूफ़ हैं मैं रबड़ का बना… Continue reading मैं पयम्बर नहीं / अख़्तर-उल-ईमान

काले-सफ़ेद परोंवाला परिंदा और मेरी एक शाम / अख़्तर-उल-ईमान

बर्तन,सिक्के,मुहरें, बेनाम ख़ुदाओं के बुत टूटे-फूटे मिट्टी के ढेर में पोशीदा चक्की-चूल्हे कुंद औज़ार, ज़मीनें जिनसे खोदी जाती होंगी कुछ हथियार जिन्हे इस्तेमाल किया करते होंगे मोहलिक हैवानों पर क्या बस इतना ही विरसा है मेरा ? इंसान जब यहाँ से आगे बढ़ता है, क्या मर जाता है ?

Paurian Guru Nanak Dev Ji ਪਉੜੀਆਂ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ

ਪਉੜੀਆਂ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ 1. ਤੂੰ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਅਗੰਮੁ ਹੈ ਤੂੰ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਅਗੰਮੁ ਹੈ ਆਪਿ ਸ੍ਰਿਸਟਿ ਉਪਾਤੀ ॥ ਰੰਗ ਪਰੰਗ ਉਪਾਰਜਨਾ ਬਹੁ ਬਹੁ ਬਿਧਿ ਭਾਤੀ ॥ ਤੂੰ ਜਾਣਹਿ ਜਿਨਿ ਉਪਾਈਐ ਸਭੁ ਖੇਲੁ ਤੁਮਾਤੀ ॥ ਇਕਿ ਆਵਹਿ ਇਕਿ ਜਾਹਿ ਉਠਿ ਬਿਨੁ ਨਾਵੈ ਮਰਿ ਜਾਤੀ ॥ ਗੁਰਮੁਖਿ ਰੰਗਿ ਚਲੂਲਿਆ ਰੰਗਿ ਹਰਿ ਰੰਗਿ ਰਾਤੀ ॥ ਸੋ… Continue reading Paurian Guru Nanak Dev Ji ਪਉੜੀਆਂ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ

Chhant Guru Nanak Dev Ji ਛੰਤ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ

ਛੰਤ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ 1. ਮੁੰਧ ਰੈਣਿ ਦੁਹੇਲੜੀਆ ਜੀਉ ਮੁੰਧ ਰੈਣਿ ਦੁਹੇਲੜੀਆ ਜੀਉ ਨੀਦ ਨ ਆਵੈ ॥ ਸਾ ਧਨ ਦੁਬਲੀਆ ਜੀਉ ਪਿਰ ਕੈ ਹਾਵੈ ॥ ਧਨ ਥੀਈ ਦੁਬਲਿ ਕੰਤ ਹਾਵੈ ਕੇਵ ਨੈਣੀ ਦੇਖਏ ॥ ਸੀਗਾਰ ਮਿਠ ਰਸ ਭੋਗ ਭੋਜਨ ਸਭੁ ਝੂਠੁ ਕਿਤੈ ਨ ਲੇਖਏ ॥ ਮੈ ਮਤ ਜੋਬਨਿ ਗਰਬਿ ਗਾਲੀ ਦੁਧਾ ਥਣੀ ਨ ਆਵਏ… Continue reading Chhant Guru Nanak Dev Ji ਛੰਤ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ