बज़्म-ए-दुश्मन में जा के देख लिया / ‘ज़हीर’ देहलवी

बज़्म-ए-दुश्मन में जा के देख लिया ले तुझे आज़मा के देख लिया तुम ने मुझ को सता के देख लिया हर तरह आज़मा के देख लिया उन के दिल की कुदूरतें न मिटीं अपनी हस्ती मिटा के देख लिया कुछ नहीं कुछ नहीं मोहब्बत में ख़ूब जी को जला के देख लिया कुछ नहीं जुज़… Continue reading बज़्म-ए-दुश्मन में जा के देख लिया / ‘ज़हीर’ देहलवी

ऐ मेहर-बाँ है गर यही सूरत निबाह की / ‘ज़हीर’ देहलवी

ऐ मेहर-बाँ है गर यही सूरत निबाह की बाज़ आए दिल लगाने से तौबा गुनाह की उल्टे गिले वो करते हैं क्यूँ तुम ने चाह की क्या ख़ूब दाद दी है दिल-ए-दाद-ख़्वाह की क़ातिल की शक्ल देख के हँगाम-ए-बाज़-पुर्स नियत बदल गई मेरे इक इक गवाह की मेरी तुम्हारी शक्ल ही कह देगी रोज़-ए-हश्र कुछ… Continue reading ऐ मेहर-बाँ है गर यही सूरत निबाह की / ‘ज़हीर’ देहलवी