कहियो जाय सलाम हमारी राम कूँ। नैण रहे झड लाय तुम्हारे नाम कूँ॥ कमल गया कुमलाय कल्याँ भी जायसी। हरि हाँ, ‘वाजिद’, इस बाडी में बहुरि न भँवरा आयसी॥ चटक चाँदणी रात बिछाया ढोलिया। भर भादव की रैण पपीहा बोलिया॥ कोयल सबद सुणाय रामरस लेत है। हरि हाँ, ‘वाजिद’, दाइये ऊपर लूण पपीहा देत है॥… Continue reading पद / वाजिद