कई दिनों में आता चाँद, आते ही शरमाता चाँद। बाँसों के झुरमुट में लुक-छिप, मंद-मंद मुसकाता चाँद। पिछवाड़े खिड़की से छिपकर, आँगन में घुस आता चाँद। घर-आँगन या दूर देश हो, नजर एक ही आता चाँद। गली-गली में रात-रात भर, फेरी घूम लगाता चाँद। सफर रात का करने वालों, का साथी बन जाता चाँद। वादा… Continue reading शरमाता चाँद / शंभुनाथ तिवारी