जय जय भारतमातु मही। द्रोण, भीम, भीषम की जननी, जग मधि पूज्य रही।। जाकें भव्य विशाल भाल पै, हिम मय मुकुट विराजै। सुवरण ज्योति जाल निज कर सों, तिहँ शोभा रवि साजै।। श्रवत जासु प्रेमाश्रु पुंज सों, गंग-जमुन कौ बारी। पद-पंकज प्रक्षालत जलनिहि, नित निज भाग सँवारी।। चारु चरण नख कान्ति जासु लहि यहि जग… Continue reading मातॄवंदना-2 / सत्यनारायण ‘कविरत्न’
Category: Satyanarayana ‘Kaviratna’
मातॄवंदना-1 / सत्यनारायण ‘कविरत्न’
सब मिलि पूजिय भारत-माई। भुवि विश्रुत, सदवीर-प्रसूता, सरल सदय सुखदाई।। बाकी निर्मल कीर्ति कौमुदी, छिटकी चहुँ दिशि छाई। कलित केन्द्र आरज-निवास की, वेद पुरानन गाई।। आर्य-अनार्य सरस चाखत जिह, प्रेम भाव रुचिराई। अस जननी पूजन हित धावहु, वेला जनि कढ़ि जाई।। सुभट सपूत, अकूत साहसी, आरजपूत कहाई। मातृभक्त सुप्रसिद्ध जगत मधि, प्रिय प्रताप प्रकटाई।। क्यों… Continue reading मातॄवंदना-1 / सत्यनारायण ‘कविरत्न’