कोई मकान अधूरा क्यों रह जाता है !! सलीब की तरह टँगा है यह सवाल मेरे मन में अधूरे मकान को देख कर मुझे पिता की याद आती है उनकी अधूरी इच्छाएँ और कलाकृतियाँ याद आती हैं देख कर कोई अधूरा मकान उम्र के आख़िरी पड़ाव में एक स्त्री के आँचल में एक बेबस आदमी… Continue reading अधूरा मकान-2 / संध्या गुप्ता
Category: Sandhya Gupta
अधूरा मकान-1 / संध्या गुप्ता
उस रास्ते से गुज़रते हुए अक्सर दिखाई दे जाता था वर्षों से अधूरा बना पड़ा वह मकान वह अधूरा था और बिरादरी से अलग कर दिए आदमी की तरह दिखता था उस पर छत नहीं डाली गई थी कई बरसातों के ज़ख़्म उस पर दिखते थे वह हारे हुए जुआरी की तरह खड़ा था उसमें… Continue reading अधूरा मकान-1 / संध्या गुप्ता