हवा चल रही तेज बड़ी थी, एक खटइया कहीं पड़ी थी! उड़ी खटइया आसमान में, फिर मच्छर के घुसी कान में! वहीं खड़ा था काला भालू, बैठ खाट पर बेचे आलू। आलू में तो छेद बड़ा था, शेर वहाँ पर तना खड़ा था! लंबी पूँछ लटकती नीचे, झटका दे-दे मुनिया खींचे! खिंची पूँछ तो गिरा… Continue reading अजब नजारे / लता पंत