सजि सेज रँग के महल मे उमँग भरी / हरिश्चन्द्र

सजि सेज रँग के महल मे उमँग भरी , पिय गर लागि काम कसकेँ मिटाए लेति । ठानि विपरीत पूरे मैन के मसूसनि सोँ , सुरति समर जय पत्रहिँ लिखाए लेति । हरिचँद केलि कला परम प्रवीन तिया , जोम भरि पियै झकझोरनि हराए लेति । याद करि पीय की वे निरदई घातेँ आज ,… Continue reading सजि सेज रँग के महल मे उमँग भरी / हरिश्चन्द्र

राधा श्याम सेवैँ सदा वृन्दावन वास करैँ / हरिश्चन्द्र

राधा श्याम सेवैँ सदा वृन्दावन वास करैँ, रहैँ निहचिँत पद आस गुरुवरु के । चाहैँ धन धाम ना आराम सोँहै काम , हरिचँदजू भरोसे रहैँ नन्दराय घरु के । एरे नीच नृप हमैँ तेज तू देखावै काह , गज परवाही कबौँ होहिँ नाहिँ खरु के । होय ले रसाल तू भले ही जगजीव काज ,… Continue reading राधा श्याम सेवैँ सदा वृन्दावन वास करैँ / हरिश्चन्द्र