1. कविता आग है इस आग में अंगारों के ऊपर मशाल की लौ है लौ से बढ़कर उसकी रोशनी बाहरी अन्धकार को भगाने वाली भीतर की आग है कविता । 2. उकाब उड़ता हो कितने भी ऊँचे आकाश में आँखें उसकी देखती हैं भूख-प्यास बुझाने वाली धरती को कल्पना के खटोले में उड़ान भरती कविता… Continue reading रसूल हमजातोव / हरिराम मीणा