घर में रहता तो आता किस काम इसलिए चला आया यह भी बुढ़िया की अन्तिम यात्रा में सिर के पास आँटी से अटका चल रहा है अरथी में साथ-साथ याद दिलाता हुआ उस स्त्री की जो कुछ घण्टे पहले निखन्नी खाट पर बैठी कुतर रही थी सुपारी और एक झटके में ही चल बसी बुढ़िया… Continue reading ऐनक / हरिओम राजोरिया
Category: Hariom Rajoria
आम / हरिओम राजोरिया
असमय हवा के थपेड़ों से झड़ गये आम अपने बोझ से नहीं झड़े समय की मार से बेमौसम अप्रैल की हवाओं ने एक घर भर दिया कच्चे आमों से आम न हों जैसे भगदड़ में मारे गये शव हों मासूम बच्चों के जो आँखों ने सँजोये थे झड़ गये वे स्वप्न गयी कई दोपहरों की… Continue reading आम / हरिओम राजोरिया