मै मरते लोकतन्त्र का बयान हूँ / हरिओम पंवार

मेरा गीत चाँद है ना चाँदनी न किसी के प्यार की है रागिनी हंसी भी नही है माफ कीजिये खुशी भी नही है माफ कीजिये शब्द – चित्र हूँ मैं वर्तमान का आइना हूँ चोट के निशान का मै धधकते आज की जुबान हूँ मरते लोकतन्त्र का बयान हूँ कोइ न डराए हमे कुर्सी के… Continue reading मै मरते लोकतन्त्र का बयान हूँ / हरिओम पंवार

घाटी के दिल की धड़कन / हरिओम पंवार

घाटी के दिल की धड़कन काश्मीर जो खुद सूरज के बेटे की रजधानी था डमरू वाले शिव शंकर की जो घाटी कल्याणी था काश्मीर जो इस धरती का स्वर्ग बताया जाता था जिस मिट्टी को दुनिया भर में अर्ध्य चढ़ाया जाता था काश्मीर जो भारतमाता की आँखों का तारा था काश्मीर जो लालबहादुर को प्राणों… Continue reading घाटी के दिल की धड़कन / हरिओम पंवार