इधर भी देख ज़रा बे-क़रार हम भी हैं तिरे फ़िदाई तिरे जाँ-निसार हम भी हैं बुतो हक़ीर न समझो हमें ख़ुदा के लिए ग़रीब बाँदा-ए-परवर-दिगार हम भी हैं कहाँ की तौबा ये मौक़ा है फूल उड़ाने का चमन है अब है साक़ी है यार हम भी हैं मिसाल-ए-ग़ुंचा उधर ख़ंदा-ज़न है वो गुल-ए-तर मिसाल-ए-अब्र इधर… Continue reading इधर भी देख ज़रा बे-क़रार हम भी हैं / फ़ज़ल हुसैन साबिर
Category: Fazal Husain Sabir
है जो ख़ामोश बुत-ए-होश-रूबा मेरे बाद / फ़ज़ल हुसैन साबिर
है जो ख़ामोश बुत-ए-होश-रूबा मेरे बाद गुल खिलाएगा कोई और नया मेरे बाद तू जफ़ाओं से जो बदनाम किए जाता है याद आएगी तुझे मेरी वफ़ा मेरे बाद कोई शिकवा हो सितमगार तो ज़ाहिर कर दे फिर न करना तू कभी कोई गिला मेरे बाद इबरत-अंगेज़ है अफ़्साना मिरे मरने का रूक गए हैं क़दम-ए-उम्र-ए-बक़ा… Continue reading है जो ख़ामोश बुत-ए-होश-रूबा मेरे बाद / फ़ज़ल हुसैन साबिर