कहानी हो कोई भी तेरा क़िस्सा हो ही जाती है / ‘फ़य्याज़’ फ़ारुक़ी

कहानी हो कोई भी तेरा क़िस्सा हो ही जाती है कोई तस्वीर देखूँ तेरा चेहरा हो ही जाती है तेरी यादों की लहरें घेर लेती हैं ये दिल मेरा ज़मीं घिर कर समंदर में जज़ीरा हो ही जाती है गई शब चाँद जैसा जब चमकता है ख़याल उस का तमन्ना मेरी इक छोटा सा बच्चा… Continue reading कहानी हो कोई भी तेरा क़िस्सा हो ही जाती है / ‘फ़य्याज़’ फ़ारुक़ी

जुगनू हवा में ले कि उजाले निकल पड़े / ‘फ़य्याज़’ फ़ारुक़ी

जुगनू हवा में ले कि उजाले निकल पड़े यूँ तीरगी से लड़ने जियाले निकल पड़े सच बोलना महाल था इतना के एक दिन सूरज की भी ज़बान पे छाले निकल पड़े इतना न सोच मुझ को ज़रा देख आईना आँखों के गिर्द हल्के भी काले निकल पड़े महफ़िल में सब के बीच था ज़िक्र-ए-बहार कल… Continue reading जुगनू हवा में ले कि उजाले निकल पड़े / ‘फ़य्याज़’ फ़ारुक़ी