जब सजीले ख़िराम करते हैं हर तरफ़ क़त्ल-ए-आम करते हैं मुख दिखा छब बना लिबास सँवार आशिकों को ग़ुलाम करते हैं ये चकोरे मिल उस सिरीजन सूँ रात दिन अपना काम करते हैं यार को आशिक़ान-साहब-फ़न एक देखे में राम करते हैं गर्दिश-ए-चश्म सूँ सिरीजन सब बज़्म में कार-ए-जाम करते हैं ये नहीं नेक तौर… Continue reading जब सजीले ख़िराम करते हैं / ‘फ़ायज़’ देहलवी
Category: fayyaz Dehlvi
बे-सबब हम से जुदाई न करो / ‘फ़ायज़’ देहलवी
बे-सबब हम से जुदाई न करो मुझ से आशिक़ से बुराई न करो ख़ाक-साराँ को न करिए पामाल जग में फ़िरऔन सी ख़ुदाई न करो बे-गुनाहाँ कूँ न कर डालो क़त्ल आह कूँ तीर-ए-हवाई न करो एक दिल तुम से नहीं है राज़ी जग में हर इक सूँ बुराई न करो महव है ‘फाएज़’-ए-शैदा तुम… Continue reading बे-सबब हम से जुदाई न करो / ‘फ़ायज़’ देहलवी