सच बोले कौन? कोई भी अब मिल नहीं रहा कोई दिया हवा के मुक़ाबिल नहीं रहा इक तेरे ग़म का बोझ उठाया था दिल ने बस फिर कोई ग़म ज़माने का मुश्किल नहीं रहा तुझसे भी दिलफरेब थे दुनिया के ग़म मगर मैं तेरी याद से कभी ग़ाफ़िल नहीं रहा तेरे बग़ैर जैसे ये गुज़री… Continue reading सच बोले कौन? कोई भी अब मिल नहीं रहा / फ़रीद क़मर
Category: Farid Qamar
हमने समझा था कि बस इक कर्बला है ज़िन्दगी / फ़रीद क़मर
हमने समझा था कि बस इक कर्बला है ज़िन्दगी कर्बलाओं का मुसलसल सिलसिला है ज़िन्दगी एक तेरे ग़म ने सब ज़ख्मों पे मरहम कर दिया सब ये कहते थे कि दर्दे-ला-दवा है ज़िन्दगी मुश्किलों से हार जाना इस को आता ही नहीं शब् की तारीकी से लड़ता इक दिया है ज़िन्दगी जीने वालों के लिए… Continue reading हमने समझा था कि बस इक कर्बला है ज़िन्दगी / फ़रीद क़मर