हमारे साथ उम्मीद-ए-बहार तुम भी करो इस इंतिज़ार के दरिया को पार तुम भी करो हवा का रूख़ तो किसी पल बदल भी सकता है उस एक पल का ज़रा इंतिज़ार तुम भी करो मैं एक जुगनू अंधेरा मिटाने निकला हूँ रिदा-ए-तीरा-शबी तार तार तुम भी करो तुम्हारा चेहरा तुम्हीं हू-ब-हू दिखाऊँगा मैं आईना हूँ… Continue reading हमारे साथ उम्मीद-ए-बहार तुम भी करो / फ़राग़ रोहवी
Category: Faragh Rohvi
देखा जो आईना तो मुझे सोचना पड़ा / फ़राग़ रोहवी
देखा जो आईना तो मुझे सोचना पड़ा ख़ुद से न मिल सका तो मुझे सोचना पड़ा उस का जो ख़त मिला तो मुझे सोचना पड़ा अपना सा वो लगा तो मुझे सोचना पड़ा मुझ को था ये गुमाँ कि मुझी में है इक अना देखी तिरी अना तो मुझे सोचना पड़ा दुनिया समझ रही थी… Continue reading देखा जो आईना तो मुझे सोचना पड़ा / फ़राग़ रोहवी