भरिबो है समुद्र को शंबुक मे / शंकर

भरिबो है समुद्र को शम्बुक मे छिति को छंगुनी पै धारिबो है ।
बंधिबो है मृनाल सो मत्तकरी जुही फूल सोँ शैल बिदारिबो है ।
गनिबो है सितारन को कवि शंकर रज्जु सोँ तेल निकारिबो है ।
कविता समुझाइबो मूढ़न को सविता गहि भूमि पे डारिबो है ।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *