हम-सफ़र थम तो सही दिल को सँभालूँ तो चलूँ / ‘वासिफ़’ देहलवी

हम-सफ़र थम तो सही दिल को सँभालूँ तो चलूँ मंज़िल-ए-दोस्त पे दो अश्क बहा लूँ तो चलूँ हर क़दम पर हैं मिरे दिल को हज़ारों उलझाओ दामन-ए-सब्र को काँटों से छुड़ा लूँ तो चलूँ मुझ सा कौन आएगा तजदीद-ए-मकारिम के लिए दश्त-ए-इम्काँ की ज़रा ख़ाक उड़ा लूँ तो चलूँ बस ग़नीमत है ये शीराज़ा-ए-लम्हात-ए-बहार धूम… Continue reading हम-सफ़र थम तो सही दिल को सँभालूँ तो चलूँ / ‘वासिफ़’ देहलवी

बुझते हुए चराग़ फ़रोजाँ करेंगे हम / ‘वासिफ़’ देहलवी

बुझते हुए चराग़ फ़रोजाँ करेंगे हम तुम आओगे तो जश्न-ए-चराग़ाँ करेंगे हम बाक़ी है ख़ाक-ए-कू-ए-मोहब्बत की तिश्नगी अपने लहू को और भी अर्ज़ां करेंगे हम बे-चारगी के हो गए ये चारागर शिकार अब ख़ुद ही अपने दर्द का दरमाँ करेंगे हम जोश-ए-जुनूँ से जामा-ए-हस्ती है तार-तार क्यूँकर एलाज-ए-तंगी-ए-दामाँ करेंगे हम ऐ चारा-साज़ दिल की लगी… Continue reading बुझते हुए चराग़ फ़रोजाँ करेंगे हम / ‘वासिफ़’ देहलवी