वे आहटें मुझ तक नहीं आएँगी वे उजाले के दीये मुझ तक नहीं आएँगे आते हैं मुझ तक वे काफ़िले जो रेतीली सरहदों में चला करते हैं अक्सर रूहें पाँवों के निशान छोड़कर क़ाफ़िले में ही आगे बढ़ जाती हैं उन निशानों पर कभी तेज़ हवा ढूहें बनाती है कभी उन्हें अपने संग उड़ाकर ले… Continue reading आहटें / वाज़दा ख़ान
Category: Vazda Khan
शब्द / वाज़दा ख़ान
शब्द देह में घुलमिल जाते हैं जब ढूँढ़ पाना उन्हें होता है कितना मुश्किल मगर वही शब्द शब्दकोश में कितनी आसानी से मिल जाते हैं ।