फ़लासिफ़ा सिर्फ़ इतना ही है कि असीम नफ़रत असीम पीड़ा या असीम प्रेम से निकलती है गोली, ग़ाली या फिर कविता
Category: Vartika Nanda
अश्क में भी हँसी है-2 / वर्तिका नन्दा
पानी में जिस दिन किश्ती चली थी तुम तब साथ थे तब डूबते-डूबते भी लगा था पानी क्या बिगाड़ लेगा
अश्क में भी हँसी है-1 / वर्तिका नन्दा
लगता है दिल का एक टुकड़ा रानीखेत के उस बड़े मैदान के पास पेड़ की छाँव के नीचे ही रह गया उस टुकड़े ने प्यार देखा था उसे वहीं रहने दो वो कम से कम सुखी तो है