काश्मीर के प्रति – द्वितीयसर्ग/ शंकरलाल चतुर्वेदी ‘सुधाकर’

जननीजन्म-भूमितोहोतीहैदिवसेभीबढ़कर | उससेजोप्रेमनहींकरता, वहहृदयनहींसमझोपत्थर ||१|| वहपराधीनहोकरभयसे, दुःखजनितअश्रुगणस्त्रवतीहो | नितदुष्टविदेशीपदलुष्ठित, रहरहकरआंहेंभरतीहो ||२|| निजसंस्कृति, भाषा, भाव, अर्थ, होतेविलुप्तवहलखतीहो | भयखाकरअत्याचारसहे, बलिपशुसीपशुतासहतीहो ||३|| सुखभोगेपुत्ररंगाअरिरंग, निजसंस्कृति,भाषा, कोखोता | वहपुत्रनहींनालायकहै, सैंवरकंटककृषिकोबोता ||४|| ऐसीमाँसेवन्ध्याअच्छी,नि: पुत्रसमझहोतीप्रसन्न | निजपतिसेकरुणयाचनाकर, होमुक्तसद्यहोतीप्रसन्न ||५|| जिनकीमातापरनरवशहो, जिनकीभूमिपरहस्तगता | वेभारसदृशइसपृथ्वीपर,जीवितहीहैवेनिहता ||६|| गाँधीगुरुतिलकगोखलेनेयहसोचसुदृढ़संग्रामरचा | भारतहा-रतहोगयानिरत, पूरबपश्चिमकुहराममचा||७|| मोतीकेलालजवाहरने, जोतेरीनिधिकानवलरत्न | भारतमाँबंधनभंजनका, तनमनधनसेकरदियायत्न ||८|| पंद्रहअगस्तसेंतालिसमें, भारतप्रखंडदोखंडबने | नापाकपाकजिन्नाखातिर, पूरबपश्चिमकेखंडबने ||९|| हर्षाम्बुधिउमड़चलाजनमें,… Continue reading काश्मीर के प्रति – द्वितीयसर्ग/ शंकरलाल चतुर्वेदी ‘सुधाकर’

काश्मीर के प्रति – प्रथमसर्ग/ शंकरलाल चतुर्वेदी ‘सुधाकर’

ओहिंदवीरकेउच्चभाल,किन्नरियोंकेपावन, सुदेश | तेरीमहिमाकाअमितगान,करसकतेक्यासारदगणेश ||१|| सौन्दर्यसलिलसरवरहैतू,नरनलिनजहाँसर्वत्रखिले | मधुकरीकिन्नरीवारचुकी , मधु -रसलेकरमनमुक्तभले ||२|| पर्वतपयस्विनीपादपगन , पुष्पावलिपावनविविधरंग | आभूषितकलितमृदुलमधुमय , प्रकृतिवनिताकेविविधरंग ||३|| केसरकलकंजविहारिणहो , वरप्रकृतिपद्मनीवामबनी | नरकीक्यागणनाहैजिसपर , मोहितहोतेसुरयक्षमुनि ||४|| तेरीकलकंजकलीकेसर , बादामदामसीफुलवारी | फलफुल्ल–फूलमधुमयमेवा , निर्झरप्रपातहिममयवारी ||५|| भारतमाताकातूललाट , पृथ्वीकानंदनसाकानन | अथवातूभारतभामिनिका , मंजुलमयंकसाहैआनन ||६|| कुछतीव्रत्वरितगतिसेबहती , इठलातीसीइतरातीसी | नववधूवितस्तातवहियपर , कलकलिकासीकलपातीसी ||७|| उसमेंकंजादिकविविधपुष्प , मानोबहुदीपसुहातेहैं… Continue reading काश्मीर के प्रति – प्रथमसर्ग/ शंकरलाल चतुर्वेदी ‘सुधाकर’