सूने घर में / सत्यनारायण

सूने घर में कोने-कोने मकड़ी बुनती जाल अम्मा बिन आँगन सूना है बाबा बिन दालान चिट्ठी आई है बहिना की साँसत में है जान, नित-नित नए तगादे भेजे बहिना की ससुराल । भ‍इया तो परदेश विराजे कौन करे अब चेत साहू के खाते में बंधक है बीघा भर खेत, शायद कुर्की ज़ब्ती भी हो जाए… Continue reading सूने घर में / सत्यनारायण

नदी-सा बहता हुआ दिन / सत्यनारायण

कहाँ ढूँढ़ें– नदी-सा बहता हुआ दिन । वह गगन भर धूप सेनुर और सोना, धार का दरपन भँवर का फूल होना, हाँ, किनारों से कथा कहता हुआ दिन ! सूर्य का हर रोज़ नंगे पाँव चलना घाटियों में हवा का कपड़े बदलना, ओस कुहरा, घाम सब सहता हुआ दिन ! कौन देगा मोरपंख से लिखे… Continue reading नदी-सा बहता हुआ दिन / सत्यनारायण