कारट के फूल / सतीश चौबे

कारट के फूल वहाँ गिरते तो होंगे ना। शाम की सलामी का बिगुल मर गए किसी सोल्जर की याद दिलाता बजता तो होगा वहाँ। मेहंदी की डालें कट तो चुकी होंगी जलाने के लिए और शाम से पहले ही ढलाव उतरती सर्द हवा आती तो होगी ना। कारट के फूलों के महक भरे भाव और… Continue reading कारट के फूल / सतीश चौबे

रोशन हाथों की दस्तकें / सतीश चौबे

प्राची की सांझ और पश्चिम की रात इनकी वय:संधि का जश्न है आज मज़ारों पर चिराग बालने वाले हाथ (जो शायद किसी रुह के ही हों) ठहर जाएँ। नदियों पर दिये बहाने वाले हाथ (जो शायद किसी नववधू के ही हों) ठहर जाएँ। और खानों में लालटेनें ले जाने वाले हाथ (जो शायद किसी मज़दूर… Continue reading रोशन हाथों की दस्तकें / सतीश चौबे