धरती स्वर्ग दिखाई दे / संतोष कुमार सिंह

करके ऐसा काम दिखा दो, जिस पर गर्व दिखाई दे। इतनी खुशियाँ बाँटो सबको, हर दिन पर्व दिखाई दे। हरे वृक्ष जो काट रहे हैं, उन्हें खूब धिक्कारो, खुद भी पेड़ लगाओ इतने, धरती स्वर्ग दिखाई दे।। करके ऐसा काम दिखा दो… कोई मानव शिक्षा से भी, वंचित नहीं दिखाई दे। सरिताओं में कूड़ा-करकट, संचित… Continue reading धरती स्वर्ग दिखाई दे / संतोष कुमार सिंह

मातृभूमि तेरी जय हो / संतोष कुमार सिंह

मातृभूमि तेरी जय हो। पुण्यभूमि तेरी जय हो।। शस्य श्यामला जन्मदायिनी। रत्नगर्भ संचित प्रदायिनी।। हिमगिरि मस्तक मुकुटधारिणी। बहती गंगा मुक्तदायिनी।। ईश्वर का इस पुण्यभूमि पर, आना जैसे तय हो। सत्य-अहिंसा वाला देश। देता रहे शान्ति संदेश।। षट्ऋतुओं का आना-जाना। विविधि तरह का रुचिकर खाना।। ऋषि-मुनियों की भूमि यहाँ पर, पग-पग अविजित नय हो। जाति-धर्म भी… Continue reading मातृभूमि तेरी जय हो / संतोष कुमार सिंह