डाक टिकट / संत कुमार टंडन ‘रसिक’

मैं हूँ भइया डाक-टिकट, मुझे न कोई राह विकट। डाकघरों में सहे प्रहार, फिर भी कभी न मानी हार। जहाँ कहो मैं चल देता हूँ, सभी जगह तो रह लेता हूँ। लक्ष्य जहाँ का भी ठहराओ, वहीं सदा तुम मुझको पाओ। चिपक जहाँ जिसके मैं जाता, पक्का पूरा साथ निभाता। बीच राह में साथ न… Continue reading डाक टिकट / संत कुमार टंडन ‘रसिक’

अन्नू का तोता / संत कुमार टंडन ‘रसिक’

‘बाबा, बाबा’ बोला पोता, ‘लाल, दुलारे तू क्यों रोता?’ ‘ला दो पिंजला, ला दो तोता बला नहीं, बछ छोता-छोता।’ अन्नू जी ने गाना छोड़ा, अन्नू जी ने खाना छोड़ा, बाबा साहब से की कुट्टी दादा से भी हो गई छुट्टी। अन्नू जी का तोता आया पिंजड़े में उसको बैठाया, तनिक न तोते के मन भाया… Continue reading अन्नू का तोता / संत कुमार टंडन ‘रसिक’