अंतहीन इंतज़ार / संकल्प शर्मा

कभी सोचती हो? वो रिश्ता. जिसका पर्याय, आज तक ‘अधूरा’ है. कभी सोचती हो? वो दर्द. जो अनवरत है, फिर भी कितना पूरा है. वो दिवा स्वप्न, जो जिंदा हैं. भले ही उनमें से कुछ, अब तक शर्मिंदा हैं. क्या सोचती हो? उस अधूरी सी, हंसी के बारे में भी. बताओ ना..!!! या फिर, कुछ… Continue reading अंतहीन इंतज़ार / संकल्प शर्मा

हवा देखी है तुमने? / संकल्प शर्मा

खलिश की इन्तहा देखी है तुमने? निगाहों की खता देखी है तुमने? मेरे सीने का खालीपन पता है? मेरे दिल की खला देखी है तुमने? तुम्हें कैसे दिखाऊं अपनी आहें? कहो तो! क्या हवा देखी है तुमने? तुम्हें मालूम कैसे ख़त्म होगा? सफर की इब्तेदा देखी है तुमने? मेरे जी मैं जो है यूँ ही… Continue reading हवा देखी है तुमने? / संकल्प शर्मा