गलियाँ झाकीं सड़कें छानी दिल की वहशत कम न हुई आँख से कितना लावा उबला तन की हिद्दत कम न हुई ढब से प्यार किया है हम ने उस के नाम पे चुप न हुए शहर के इज़्ज़त-दारों में कुछ अपनी इज्जत कम न हुई मन-धन सब क़ुर्बान किया अब सर का सौदा बाक़ी है… Continue reading गलियाँ झाकीं सड़कें छानी दिल की वहशत कम न हुई / सज्जाद बाक़र रिज़वी
Category: Sajjad Baqar Rizvi
अपने जीने को क्या पूछो सुब्ह भी गोया रात रही / सज्जाद बाक़र रिज़वी
अपने जीने को क्या पूछो सुब्ह भी गोया रात रही तुम भी रूठे जग भी रूठा ये भी वक़्त की बात रही प्यार के खेल में दिल के मालिक हम तो सब कुछ खो बैठे अक्सर तुम से शर्त लगी है अक्सर अपनी मात रही लाख दिए दुनिया ने चरके लाख लगे दिल पर पहरे… Continue reading अपने जीने को क्या पूछो सुब्ह भी गोया रात रही / सज्जाद बाक़र रिज़वी