एक रहने से यहाँ वो मावरा कैसे हुआ / सगीर मलाल

एक रहने से यहाँ वो मावरा कैसे हुआ सब से पहला आदमी ख़ुद हूँ मैं आज तक तेरे बारे में अगर ख़ामोश हूँ मैं आज तक फिर तिरे हक़ में किसी का फ़ैसला कैसे हुआ इब्तिदा में कैसे सहरा की सदा समझी गई आख़िरश सारा ज़माना हम-नवा कैसे हुआ चंद ही थे लोग जिन के… Continue reading एक रहने से यहाँ वो मावरा कैसे हुआ / सगीर मलाल

अलग हैं हम कि जुदा अपनी रह-गुज़र में हैं / सगीर मलाल

अलग हैं हम कि जुदा अपनी रह-गुज़र में हैं वगरना लो तो सारे इसी सफ़र में हैं हमारी जस्त ने माज़ूल कर दिया हम को हम अपनी वुसअतों में अपने बाम ओ दर में हैं यहाँ से उन के गुज़रने का एक मौसम है ये लोग रहते मगर कौन से नगर में हैं जो दर-ब-दर… Continue reading अलग हैं हम कि जुदा अपनी रह-गुज़र में हैं / सगीर मलाल