सदियों से शोषित-प्रताड़ित दलित जन / लक्ष्मी नारायण सुधाकर

सदियों से शोषित-प्रताड़ित दलित जन दासता की बेड़ियों में बँधे बिलखाते थे अस्पृश्य-अन्त्यज्य-अधर्म, धर्म-शास्त्र कहें अधिकार-वंचित से विवश अकुलाते थे विद्या से विहीन धनहीन दीन पंगु बने पशुओं के तुल्य द्विज उनको सताते थे ‘सुधाकर’ आम्बेडकर बाबा ने जगाया उन्हें स्वाभिमान जगा छुटकारा दिलवाते थे!

जहाँ तक सवाल है / लक्ष्मी नारायण सुधाकर

जहाँ तक सवाल है शोषितों के हाल का फँसे हुए सदियों से शोषकों के जाल में निगल न पाये पर छोड़ भी तो नहीं रहे पिसे जा रहे हैं क्रूर काल ही के गाल में ऊँच-नीच, छूट-छात, जाति-पात कीच-बीच वारि बिन मीन अकुलाति जिमि ताल में ‘सुधाकर’ स्वतन्त्र भले भारत हुआ है बन्धु शोषित स्वतन्त्र… Continue reading जहाँ तक सवाल है / लक्ष्मी नारायण सुधाकर