अभी से कैसे कहूँ तुम को बे-वफ़ा साहब अभी तो अपने सफ़र की है इब्तिदा साहब न जाने कितने लक़ब दे रहा है दिल तुम को हुज़ूर जान-ए-वफ़ा और हम-नवा साहब तुम्हारी याद में तारे शुमार करती हूँ न जाने ख़त्म कहाँ हो ये सिलसिला साहब किताब-ए-ज़ीस्त का उनवान बन गए हो तुम हमारे प्यार… Continue reading अभी से कैसे कहूँ तुम को बे-वफ़ा साहब / इन्दिरा वर्मा
Category: Indira Verma
आज फिर चाँद उस ने माँगा है / इन्दिरा वर्मा
आज फिर चाँद उस ने माँगा है चाँद का दाग़ फिर छुपाना है चाँद का हुस्न तो है ला-सानी फिर भी कितना फ़लक पे तन्हा है काश कुछ और माँगता मुझ से चाँद ख़ुद गर्दिशों का मारा है दूर है चाँद इस ज़मीं से बहुत फिर भी हर शब तवाफ़ करता है बस्तियों से निकल… Continue reading आज फिर चाँद उस ने माँगा है / इन्दिरा वर्मा