ये चिराग बेनज़र है ये सितारा बे ज़ुबाँ है / बशीर बद्र

ये चिराग़ बेनज़र है ये सितारा बेज़ुबाँ है अभी तुझसे मिलता जुलता कोई दूसरा कहाँ है वही शख़्स जिसपे अपने दिल-ओ-जाँ निसार कर दूँ वो अगर ख़फ़ा नहीं है तो ज़रूर बदगुमाँ है कभी पा के तुझको खोना कभी खो के तुझको पाना ये जनम जनम का रिश्ता तेरे मेरे दरमियाँ है मेरे साथ चलनेवाले… Continue reading ये चिराग बेनज़र है ये सितारा बे ज़ुबाँ है / बशीर बद्र

सरे राह कुछ भी कहा नहीं कभी उसके घर में गया नहीं / बशीर बद्र

सरे राह कुछ भी कहा नहीं, कभी उसके घर में गया नहीं मैं जनम-जनम से उसी का हूँ, उसे आज तक ये पता नहीं उसे पाक़ नज़रों से चूमना भी इबादतों में शुमार है कोई फूल लाख क़रीब हो, कभी मैंने उसको छुआ नहीं ये ख़ुदा की देन अज़ीब है, कि इसी का नाम नसीब… Continue reading सरे राह कुछ भी कहा नहीं कभी उसके घर में गया नहीं / बशीर बद्र

दिल पे छाया रहा उमस की तरह / बशीर बद्र

दिल पे छाया रहा उमस की तरह एक लम्हा था सौ बरस की तरह वो मोहब्बत की तरह पिघलेगी मैं भी मर जाऊँगा हवस की तरह रात सर पर लिये हूँ जंगल में रास्ते की ख़राब बस की तरह आत्मा बेज़बान मैना है माटी का तन क़फ़स की तरह ख़ानक़ाहों में ख़ाक़ उड़ती है उर्दू… Continue reading दिल पे छाया रहा उमस की तरह / बशीर बद्र

मुसाफ़िर के रस्ते बदलते रहे / बशीर बद्र

मुसाफ़िर के रस्ते बदलते रहे मुक़द्दर में चलना था चलते रहे कोई फूल सा हाथ काँधे पे था मेरे पाँव शोलों पे चलते रहे मेरे रास्ते में उजाला रहा दिये उस की आँखों के जलते रहे वो क्या था जिसे हमने ठुकरा दिया मगर उम्र भर हाथ मलते रहे मुहब्बत अदावत वफ़ा बेरुख़ी किराये के… Continue reading मुसाफ़िर के रस्ते बदलते रहे / बशीर बद्र

हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाए / बशीर बद्र

हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाए चराग़ों की तरह आँखें जलें जब शाम हो जाए मैं ख़ुद भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ कोई मासूम क्यों मेरे लिए बदनाम हो जाए अजब हालात थे यूँ दिल का सौदा हो गया आख़िर मोहब्बत की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाए समन्दर के… Continue reading हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाए / बशीर बद्र

मैक़दा रात ग़म का घर निकला / बशीर बद्र

मैकदा रात ग़म का घर निकला दिल हथेली तले खंडहर निकला मैं उसे ढूँढता था आँखों में फूल बनकर वो शाख़ पर निकला किसके साए में सर छुपाओगे वो शजर धूप का शजर निकला उसका आँचल भी कोई बादल था वो हवाओं का हमसफ़र निकला कोई कागज़ न था लिफ़ाफ़े में सिर्फ़ तितली का एक… Continue reading मैक़दा रात ग़म का घर निकला / बशीर बद्र

सूरज चंदा जैसी जोड़ी हम दोनों / बशीर बद्र

सूरज चंदा जैसी जोड़ी हम दोनों दिन का राजा रात की रानी हम दोनों जगमग जगमग दुनिया का मेला झूठा सच्चा सोना सच्चा चांदी हम दोनों इक दूजे से मिल कर पूरे होते हैं आधी आधी एक कहानी हम दोनों घर घर दुःख सुख का दीपक जले बुझे हर दीपक में तेल और बाती हम… Continue reading सूरज चंदा जैसी जोड़ी हम दोनों / बशीर बद्र

वो ग़ज़ल वालों का असलूब समझते होंगे / बशीर बद्र

वो ग़ज़ल वालो का असलूब[1] समझते होंगे चाँद कहते है किसे ख़ूब समझते होंगे इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी लोग तुझको मेरा महबूब समझते होंगे मैं समझता था मुहब्बत की ज़बाँ ख़ुश्बू है फूल से लोग उसे ख़ूब समझते होंगे देख कर फूल के औराक़ [2] पे शबनम कुछ लोग तेरा अश्कों… Continue reading वो ग़ज़ल वालों का असलूब समझते होंगे / बशीर बद्र

कहाँ आँसुओं की ये सौगात होगी / बशीर बद्र

कहाँ आँसुओं की ये सौगात होगी नए लोग होंगे नयी बात होगी मैं हर हाल में मुस्कराता रहूँगा तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी चराग़ों को आँखों में महफूज़ रखना बड़ी दूर तक रात ही रात होगी न तुम होश में हो न हम होश में है चलो मयकदे में वहीं बात होगी जहाँ वादियों में… Continue reading कहाँ आँसुओं की ये सौगात होगी / बशीर बद्र

कभी यूँ भी आ मेरी आँख में / बशीर बद्र

कभी यूँ भी आ मेरी आँख में, कि मेरी नज़र को ख़बर न हो मुझे एक रात नवाज़ दे, मगर उसके बाद सहर न हो वो बड़ा रहीमो-करीम है, मुझे ये सिफ़त भी अता करे तुझे भूलने की दुआ करूँ तो मेरी दुआ में असर न हो मेरे बाज़ुओं में थकी-थकी, अभी महवे- ख़्वाब है… Continue reading कभी यूँ भी आ मेरी आँख में / बशीर बद्र