यूँ ही सी एक बात थी, उस का मलाल क्या करें / ऐतबार साज़िद

यूँ ही सी एक बात थी, उस का मलाल क्या करें मीर-ए-खराब हाल सा अपना भी हाल, क्या करें? ऐसी फिजा के कहर में ऐसी हवा के ज़हर में जिंदा हैं ऐसे शहर में और कमाल क्या करें? और बहुत सी उलझने तूक-ओ-रसं से बढ़ के हैं ज़िक्र-ए-ज़माल क्या करे, फ़िक्र-ए-विसाल क्या करें? ढूंढ़ लिए… Continue reading यूँ ही सी एक बात थी, उस का मलाल क्या करें / ऐतबार साज़िद

कोई कैसा हम सफर है, ये अभी से मत बताओ / ऐतबार साज़िद

कोई कैसा हम सफर है, ये अभी से मत बताओ अभी क्या पता किसी का, के चली नहीं है नाव ये ज़रूरी तो नहीं है, के सदा रहे मरासिम ये सफर की दोस्ती है, इसे रोग मत बनाओ मेरे चारागर बोहत हैं, ये खलिश मगर है दिल में कोई ऐसा हो के, जिस को हों… Continue reading कोई कैसा हम सफर है, ये अभी से मत बताओ / ऐतबार साज़िद

मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना / ऐतबार साज़िद

मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना तुम्हारे काम आ जायेगा, यह सामान ले जाना तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई ? तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना शिकस्ता के कुछ रेज़े पड़े हैं फर्श पर, चुन लो अगर तुम जोड़ सको तो यह गुलदान ले जाना… Continue reading मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना / ऐतबार साज़िद

ये ठीक है के बहुत वहशतें भी ठीक / ऐतबार साज़िद

ये ठीक है के बहुत वहशतें भी ठीक नहीं मगर हमारी ज़रा आदतें भी ठीक नहीं अगर मिलो तो खुले दिल के साथ हम से मिलो के रस्मी रस्मी सी ये चाहतें भी ठीक नहीं तअल्लुक़ात में गहराइयाँ तो अच्छी हैं किसी से इतनी मगर क़ुर्बतें भी ठीक नहीं दिल ओ दिमाग़ से घायल हैं… Continue reading ये ठीक है के बहुत वहशतें भी ठीक / ऐतबार साज़िद

ये हसीं लोग हैं तू इन की मुरव्वत पे / ऐतबार साज़िद

ये हसीं लोग हैं तू इन की मुरव्वत पे न जा ख़ुद ही उठ बैठ किसी इज़्न ओ इजाज़त पे न जा सूरत-ए-शम्मा तेरे सामने रौशन हैं जो फूल उन की किरनों में नहा शौक़-ए-समाअत पे न जा दिल सी चेक-बुक है तेरे पास तुझे क्या धड़का जी को भा जाए तो फिर चीज़ की… Continue reading ये हसीं लोग हैं तू इन की मुरव्वत पे / ऐतबार साज़िद

तुम्हें ख़याल-ए-ज़ात है शुऊर-ए-ज़ात / ऐतबार साज़िद

तुम्हें ख़याल-ए-ज़ात है शुऊर-ए-ज़ात ही नहीं ख़ता मुआफ़ ये तुम्हारे बस की बात ही नहीं ग़ज़ल फ़ज़ा भी ढूँडती है अपने ख़ास रंग की हमारा मसअला फ़क़त क़लम दवात ही नहीं हमारी साअतों के हिस्सा-दार और लोग हैं हमारे सामने फ़क़त हमारी ज़ात ही नहीं वरक़ वरक़ पे डाएरी में आँसुओं का नाम भी है… Continue reading तुम्हें ख़याल-ए-ज़ात है शुऊर-ए-ज़ात / ऐतबार साज़िद

रस्ते का इंतिख़ाब ज़रूरी सा हो गया / ऐतबार साज़िद

रस्ते का इंतिख़ाब ज़रूरी सा हो गया अब इख़्तिताम-ए-बाब ज़रुरी सा हो गया हम चुप रहे तो और भी इल्ज़ाम आएगा अब कुछ न कुछ जवाब ज़रूरी सा हो गया हम टालते रहे के ये नौबत न आने पाए फिर हिज्र का अज़ाब ज़रूरी सा हो गया हर शाम जल्द सोने की आदत ही पड़… Continue reading रस्ते का इंतिख़ाब ज़रूरी सा हो गया / ऐतबार साज़िद

फूल थे रंग थे लम्हों की सबाहत हम थे / ऐतबार साज़िद

फूल थे रंग थे लम्हों की सबाहत हम थे ऐसे ज़िंदा थे के जीने की अलामत हम थे सब ख़िरद-मंद बने फिरते थे माशा-अल्लाह बस तेरे शहर में इक साहिब-ए-वहशत हम थे नाम बख़्शा है तुझे किस के वुफ़ूर-ए-ग़म ने गर कोई था तू तेरे मुजरिम-ए-शोहरत हम थे अब तो ख़ुद अपनी ज़रूरत भी नहीं… Continue reading फूल थे रंग थे लम्हों की सबाहत हम थे / ऐतबार साज़िद

न गुमान मौत का है न ख़याल ज़िंदगी / ऐतबार साज़िद

न गुमान मौत का है न ख़याल ज़िंदगी का सो ये हाल इन दिनों है मेरे दिल की बे-कसी का मैं शिकस्ता बाम ओ दर में जिसे जा के ढूँडता था कोई याद थी किसी की कोई नाम था किसी का मैं हवाओं से हरासाँ वो घुटन से दिल-गिरफ़्ता मैं चराग़ तीरगी का वो गुलाब… Continue reading न गुमान मौत का है न ख़याल ज़िंदगी / ऐतबार साज़िद

मुझे वो कुंज-ए-तनहाई से आख़िर / ऐतबार साज़िद

मुझे वो कुंज-ए-तनहाई से आख़िर कब निकालेगा अकेले-पन का ये एहसास मुझ को मार डालेगा किसी को क्या पड़ी है मेरी ख़ातिर ख़ुद को ज़हमत दे परेशाँ हैं सभी कैसे कोई मुझ को सँभालेगा अभी तारीख़ नामी एक जादू-गर को आना है जो ज़िंदा शहर और अज्साम को पत्थर में ढालेगा बस अगले मोड़ पर… Continue reading मुझे वो कुंज-ए-तनहाई से आख़िर / ऐतबार साज़िद