मेरी सोई हुई माँ के चेहरे पर किसीछिद्र से पड़ रहा है थोड़ा-सा प्रकाश हिल रही हैं उसकी पलकें कौन कर रहा है इस अंधेरे में सुबह की बात
Category: Agnishekhar
तड़प / अग्निशेखर
अरे, मेरा करो अपहरण ले जाओ मुझे अपने यातना-शिविर में कुछ नहीं कहूंगा मैं करो जो कुछ भी करना है मेरे शरीर के साथ ज़िन्दा जलाओ, काटो उआ दफ़न करो कहीं मुझे नदी के किनारे बर्फ़ीले पहाड़ों पर किसी गाँव में या कस्बाई गली में कहीं घूरे के नीचे मैं तरस गया हूँ अपनी ज़मीन… Continue reading तड़प / अग्निशेखर