रोज़ समय का चाकू हमारा दुनिया का सेब चीरता है घिरते हुए शोक की पौष्टिकता में हम प्रफुल्लित होते हैं दोनों एक से हैं– स्वास्थ्य और बीमारी चाकू के सामने कटती हुई दुनिया में
Category: Hemant Shesh
जल गई है कोई कंदील मेरे भीतर/ हेमन्त शेष
जल गई है कोई कन्दील मेरे भीतर और शब्दों का मोम पिघलना शुरू हो गया है यों बहुत दिनों बाद खुली खिड़की कविता की