एकांत-संगीत (कविता) / हरिवंशराय बच्चन

तट पर है तरुवर एकाकी, नौका है, सागर में, अंतरिक्ष में खग एकाकी, तारा है, अंबर में, भू पर वन, वारिधि पर बेड़े, नभ में उडु खग मेला, नर नारी से भरे जगत में कवि का हृदय अकेला!

बहुत दिनों पर / हरिवंशराय बच्चन

मैं तो बहुत दिनों पर चेता । श्रम कर ऊबा श्रम कण डूबा सागर को खेना था मुझको रहा शिखर को खेता मैं तो बहुत दिनों पर चेता । थी मत मारी था भ्रम भारी ऊपर अम्बर गर्दीला था नीचे भंवर लपेटा मैं तो बहुत दिनों पर चेता । यह किसका स्वर भीतर बाहर कौन… Continue reading बहुत दिनों पर / हरिवंशराय बच्चन

आज़ादी का गीत / हरिवंशराय बच्चन

हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल चांदी, सोने, हीरे मोती से सजती गुड़िया इनसे आतंकित करने की घडियां बीत गई इनसे सज धज कर बैठा करते हैं जो कठपुतले हमने तोड़ अभी फेंकी हैं हथकडियां परम्परागत पुरखो की जागृति की फिर से उठा शीश पर रक्खा हमने हिम-किरीट उजव्व्ल हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा… Continue reading आज़ादी का गीत / हरिवंशराय बच्चन

आत्मदीप / हरिवंशराय बच्चन

मुझे न अपने से कुछ प्यार, मिट्टी का हूँ, छोटा दीपक, ज्योति चाहती, दुनिया जब तक, मेरी, जल-जल कर मैं उसको देने को तैयार| पर यदि मेरी लौ के द्वार, दुनिया की आँखों को निद्रित, चकाचौध करते हों छिद्रित मुझे बुझा दे बुझ जाने से मुझे नहीं इंकार| केवल इतना ले वह जान मिट्टी के… Continue reading आत्मदीप / हरिवंशराय बच्चन

आज फिर से / हरिवंशराय बच्चन

आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । है कंहा वह आग जो मुझको जलाए, है कंहा वह ज्वाल पास मेरे आए, रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ; आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी, नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी, आज तुम मुझको जगाकर जगमगाओ;… Continue reading आज फिर से / हरिवंशराय बच्चन

आदर्श प्रेम / हरिवंशराय बच्चन

प्यार किसी को करना लेकिन कह कर उसे बताना क्या अपने को अर्पण करना पर और को अपनाना क्या गुण का ग्राहक बनना लेकिन गा कर उसे सुनाना क्या मन के कल्पित भावों से औरों को भ्रम में लाना क्या ले लेना सुगंध सुमनों की तोड उन्हे मुरझाना क्या प्रेम हार पहनाना लेकिन प्रेम पाश… Continue reading आदर्श प्रेम / हरिवंशराय बच्चन

चल मरदाने / हरिवंशराय बच्चन

चल मरदाने, सीना ताने, हाथ हिलाते, पांव बढाते, मन मुस्काते, गाते गीत । एक हमारा देश, हमारा वेश, हमारी कौम, हमारी मंज़िल, हम किससे भयभीत । चल मरदाने, सीना ताने, हाथ हिलाते, पांव बढाते, मन मुस्काते, गाते गीत । हम भारत की अमर जवानी, सागर की लहरें लासानी, गंग-जमुन के निर्मल पानी, हिमगिरि की ऊंची… Continue reading चल मरदाने / हरिवंशराय बच्चन

प्रतीक्षा / हरिवंशराय बच्चन

मधुर प्रतीक्षा ही जब इतनी प्रिय तुम आते तब क्या होता? मौन रात इस भान्ति कि जैसे, कोइ गत वीणा पर बज कर अभी अभी सोयी खोयी सी, सपनो में तारों पर सिर धर और दिशाओं से प्रतिध्वनियां जाग्रत सुधियों सी आती हैं कान तुम्हारी तान कहीं से यदि सुन पाते, तब क्या होता? तुमने… Continue reading प्रतीक्षा / हरिवंशराय बच्चन

साजन आ‌ए, सावन आया / हरिवंशराय बच्चन

अब दिन बदले, घड़ियाँ बदलीं, साजन आ‌ए, सावन आया। धरती की जलती साँसों ने मेरी साँसों में ताप भरा, सरसी की छाती दरकी तो कर घाव ग‌ई मुझपर गहरा, है नियति-प्रकृति की ऋतु‌ओं में संबंध कहीं कुछ अनजाना, अब दिन बदले, घड़ियाँ बदलीं, साजन आ‌ए, सावन आया। तुफान उठा जब अंबर में अंतर किसने झकझोर… Continue reading साजन आ‌ए, सावन आया / हरिवंशराय बच्चन

राष्ट्रिय ध्वज / हरिवंशराय बच्चन

नागाधिराज श्रृंग पर खडी हु‌ई, समुद्र की तरंग पर अडी हु‌ई, स्वदेश में जगह-जगह गडी हु‌ई, अटल ध्वजा हरी,सफेद केसरी! न साम-दाम के समक्ष यह रुकी, न द्वन्द-भेद के समक्ष यह झुकी, सगर्व आस शत्रु-शीश पर ठुकी, निडर ध्वजा हरी, सफेद केसरी! चलो उसे सलाम आज सब करें, चलो उसे प्रणाम आज सब करें, अजर… Continue reading राष्ट्रिय ध्वज / हरिवंशराय बच्चन