सूरा एक न आँखिए / नानकदेव

सूरा एक न आँखिए , जो लड़नि दला में जांय सूरा सोई ‘नानका’ जो मरूण हुकुम रजाए हिरदे जिनके हरि बसे, ते जन कहियहि सूर कही न जाई ‘नानका’ पूरि रह्यौ भरपूर मन की दुबिधा ना मिटे, भक्ति कहाँ के होय कउड़ी बदले ‘नानका’, जन्म चल्या नर खोय

जो नर दुख में दुख नहिं मानै / नानकदेव

जो नर दुख में दुख नहिं मानै। सुख सनेह अरु भय नहिं जाके, कंचन माटी जानै।। नहिं निंदा नहिं अस्तुति जाके, लोभ-मोह अभिमाना। हरष शोक तें रहै नियारो, नाहिं मान-अपमाना।। आसा मनसा सकल त्यागि के, जग तें रहै निरासा। काम, क्रोध जेहि परसे नाहीं, तेहि घट ब्रह्म निवासा।। गुरु किरपा जेहि नर पै कीन्हीं, तिन्ह… Continue reading जो नर दुख में दुख नहिं मानै / नानकदेव

को काहू को भाई / नानकदेव

हरि बिनु तेरो को न सहाई। काकी मात-पिता सुत बनिता, को काहू को भाई॥ धनु धरनी अरु संपति सगरी जो मानिओ अपनाई। तन छूटै कुछ संग न चालै, कहा ताहि लपटाई॥ दीन दयाल सदा दु:ख-भंजन, ता सिउ रुचि न बढाई। नानक कहत जगत सभ मिथिआ, ज्यों सुपना रैनाई॥

झूठी देखी प्रीत / नानकदेव

जगत में झूठी देखी प्रीत। अपने ही सुखसों सब लागे, क्या दारा क्या मीत॥ मेरो मेरो सभी कहत हैं, हित सों बाध्यौ चीत। अंतकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत॥ मन मूरख अजहूँ नहिं समुझत, सिख दै हारयो नीत। नानक भव-जल-पार परै जो गावै प्रभु के गीत॥

जपु जी / नानकदेव

थापिया न जाइ, कीता न होइ, आपै आप निरंजन सोइ॥ जिन सेविया तिन पाइया मानु, नानक गाविए गुणी निधानु॥ गाविये सुणिये मन रखि भाउ, दु:ख परिहरि सुख घर लै जाइ॥ गुरुमुखि नादं गुरुमुखि वेदं, गुरुमुखि रहिया समाई॥ गुरु ईसरू गोरखु बरमा, गुरु पारबती माई॥ जे हउ जाणा आखा नाहीं, कहणा कथनु न जाई। गुरु इक… Continue reading जपु जी / नानकदेव