हम होंगे कामयाब / गिरिजाकुमार माथुर

होंगे कामयाब, होंगे कामयाब हम होंगे कामयाब एक दिन हो-हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन होंगी शांति चारो ओर होंगी शांति चारो ओर होंगी शांति चारो ओर एक दिन हो-हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास होंगी शांति चारो ओर एक दिन हम चलेंगे साथ-साथ डाल हाथों… Continue reading हम होंगे कामयाब / गिरिजाकुमार माथुर

कौन थकान हरे जीवन की / गिरिजाकुमार माथुर

कौन थकान हरे जीवन की? बीत गया संगीत प्यार का, रूठ गयी कविता भी मन की । वंशी में अब नींद भरी है, स्वर पर पीत सांझ उतरी है बुझती जाती गूंज आखिरी इस उदास बन पथ के ऊपर पतझर की छाया गहरी है, अब सपनों में शेष रह गई सुधियां उस चंदन के बन… Continue reading कौन थकान हरे जीवन की / गिरिजाकुमार माथुर

छाया मत छूना / गिरिजाकुमार माथुर

छाया मत छूना मन होता है दुख दूना मन जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी; तन-सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी, कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी। भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण छाया मत छूना मन होगा दुख दूना मन यश है न वैभव है, मान है… Continue reading छाया मत छूना / गिरिजाकुमार माथुर

बरसों के बाद कभी / गिरिजाकुमार माथुर

बरसों के बाद कभी हम तुम यदि मिलें कहीं, देखें कुछ परिचित से, लेकिन पहिचानें ना। याद भी न आये नाम, रूप, रंग, काम, धाम, सोचें,यह सम्भव है – पर, मन में मानें ना। हो न याद, एक बार आया तूफान, ज्वार बंद, मिटे पृष्ठों को – पढ़ने की ठाने ना। बातें जो साथ हुई,… Continue reading बरसों के बाद कभी / गिरिजाकुमार माथुर