नाम बिन भाव करम नहिं छूटै / दरिया साहब

नाम बिन भाव करम नहिं छूटै। साध संग औ राम भजन बिन, काल निरंतर लूटै॥ मल सेती जो मलको धोवै, सो मल कैसे छूटै॥ प्रेम का साबुन नाम का पानी, दोय मिल ताँता टूटै॥ भेद अभेद भरम का भाँडा, चौडे पड-पड फूटै॥ गुरु मुख सबद गहै उर अंतर, सकल भरम के छूटै॥ राम का ध्यान… Continue reading नाम बिन भाव करम नहिं छूटै / दरिया साहब

साखी / दरिया साहब

दरिया लच्छन साध का, क्या गिरही क्या भेख। नि:कपटी निरसंक रहि, बाहर भीतर एक॥ कानों सुनी सो झूठ सब, ऑंखों देखी साँच। दरिया देखे जानिए, यह कंचन यह काँच॥ पारस परसा जानिए, जो पलटै ऍंग-अंग। अंग-अंग पलटै नहीं, तौ है झूठा संग॥ बड के बड लागै नहीं, बड के लागै बीज। दरिया नान्हा होयकर, रामनाम… Continue reading साखी / दरिया साहब